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Saturday, September 10, 2016

Inula racemosa,pushkarmool plant

Inula racemosa
Inula racemosa is an Asian plant in the daisy family native to the temperate and alpine western Himalayas of Xinjiang, Afghanistan, Kashmir, Nepal, Pakistan.

Pushkarmool is a very useful Ayurvedic herb, used in the treatment of heart diseases, respiratory diseases like asthma, bronchitis, cough etc. Its botanical name is Inula racemosa. It is one of the powerful herbs of Ayurveda. 
More Details:
JKMPIC (K) "Ginkgo House" Nambalbal, Pampore (Aziz Abad), J&K 192121
JKMPIC (J) " Sangaldan, near Rly.Stn., Ramban,Jammu J&K 182143
POB: 667 GPO Srinagar SGR J&K 190001
Ph: 09858986794/01933-223705
e.mail : jkmpic@gmail.com

Friday, September 9, 2016

angelica root

Angelica archangelica Angelica is an angel on earth for the treatment of diseases.. Angelica archangelica, commonly known as garden angelica, wild celery, and Kashmir Angelica, is a biennial plant from the Apiaceae family, a subspecies of which is cultivated for its sweetly scented edible stems and roots.

Buy Angelica root/whole plant/seeds
Available in : 250,500,1000 grams pacakages
The Jammu and Kashmir Medicinal Plants Introduction Centre-JKMPIC
POB 667 GPO Srinagar SGR J&K 190001
Ph: 09858986794/01933-223705
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Thursday, September 8, 2016

American saffron, 65 thousand per kg

American Kesar Seeds 
Kukshi close to the edge of the village of Brda bigha an American farmer Lal Haibreedh saffron seeds saffron is grown. He had a 50 gram seeds planted acres. 10 kg of saffron produced in nearly 5 months. Kashmir saffron known as the saffron has been sent to Mumbai for lab testing. If testing turns saffron extracts 45 percent of the 60 to 65 thousand per kg price to be found.

Babu farmer in his field for the first time in 1999 grew Dhavli muesli, muesli Dhavli Since then, his name was changed. Now, just like Kashmir saffron grown in cold areas has caused American. He drew inspiration from the Mahatma Gandhi Institute of Gujarat, Gandhi Nagar. The seeds of Free said. The plants were planted in November 2500 to prepare his farm, the yield has fallen in five months. Kisan Babu sent to Mumbai for the saffron Lab Test. Babu not even know yet where it will sell. He was approached by the institute in Gujarat, where the number was an expert in Srinagar. April 28 will see the harvest come Brda. While lab testing reports will come from Mumbai. He pointed out that more than 45 percent share of the saffron market value to arrive 60 to 75 thousand rupees can get. How can be sold, he'll come to the expert.

Direct and simple saffron cultivation farmers than other crops, said Babu saffron cultivation is easy and simple. The crop can be taken from the drip method. There seems to be some sort of disease in plants. Organic crop plant is about 4 to 5 feet in length, the two hundred to two hundred and bear flowers. The flower itself seems saffron.
First appeared in  : http://kisanhelp.in/

अमेरिकन केसर, 65 हजार रुपए प्रति किलो

American Kesar Seed
धार के पास कुक्षी के ग्राम बड़दा के किसान बाबूलाल ने एक बीघा जमीन पर अमेरीकन हाईब्रीड़ केसर के बीजों
से केसर उगाई है। उन्होंने एक बीघा में 50 ग्राम बीज रोपे। इससे करीब 5 माह में 10 किलो केसर का उत्पादन हुआ। कश्मीर की केसर के नाम से ख्यात इस केसर को लैब टेस्टिंग के लिए मुंबई भेजा गया है। यदि टेस्टिंग में केसर का 45 प्रतिशत अर्क निकला तो 60 से 65 हजार रुपए प्रति किलो का भाव मिल सकता है।

Buy american Kesar Seeds
http://jkmpic.blogspot.in

किसान बाबूलाल ने 1999 में धवली मुसली को प्रथम बार अपने खेत में उगाया था, तब से उनका नाम धवली मुसली रख दिया गया। अब सिर्फ कश्मीर जैसे ठंडे इलाके में पैदा होने वाली अमेरिकन केसर उगा दी है। उन्होंने बताया गुजरात के गांधी नगर स्थित महात्मा गांधी संस्थान से प्रेरणा मिली। वहीं से बीज भी नि:शुल्क दिया गया। 2500 पौधे तैयार कर अपने खेत में नवंबर में लगाए थे, पांच महीने में उपज आ गई है। किसान बाबूलाल ने केसर को लैब टेस्ट के लिए मुंबई भेजा है। अब तक बाबूलाल को भी नहीं पता है कि यह बिकेगी कहां। उन्होंने बताया गुजरात में संस्थान से ही संपर्क किया था, जहां से श्रीनगर के एक विशेषज्ञ का नंबर मिला। वे 28 अप्रैल को बड़दा आकर फसल देखेंगे। तब तक मुंबई से लैब टेस्टिंग की रिपोर्ट भी आ जाएगी। उन्होंने ही बताया है कि 45 प्रतिशत से अधिक केसर का अंश आया तो बाजार मूल्य 60 से 75 हजार रुपए तक मिल सकता है। कैसे बेची जा सकती है, वह भी वे विशेषज्ञ ही आकर बताएंगे।

 सीधी और सरल केसर की खेती : किसान बाबूलाल ने बताया अन्य फसलों की तुलना में केसर की खेती करना आसान और सरल है। इसमें ड्रिप पद्धति से फसल को लिया जा सकता है। पौधों में किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं लगती। जैविक फसल का पौधा 4 से 5 फीट लंबाई वाला होता है, जिस पर दो सौ से ढाई सौ तक फूल लगते हैं। इस फूल में ही केसर लगती है।
More details: http://kisanhelp.in

अमेरिकन केसर, 65 हजार रुपए प्रति किलो

American Kesar Seed
धार के पास कुक्षी के ग्राम बड़दा के किसान बाबूलाल ने एक बीघा जमीन पर अमेरीकन हाईब्रीड़ केसर के बीजों
से केसर उगाई है। उन्होंने एक बीघा में 50 ग्राम बीज रोपे। इससे करीब 5 माह में 10 किलो केसर का उत्पादन हुआ। कश्मीर की केसर के नाम से ख्यात इस केसर को लैब टेस्टिंग के लिए मुंबई भेजा गया है। यदि टेस्टिंग में केसर का 45 प्रतिशत अर्क निकला तो 60 से 65 हजार रुपए प्रति किलो का भाव मिल सकता है।

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किसान बाबूलाल ने 1999 में धवली मुसली को प्रथम बार अपने खेत में उगाया था, तब से उनका नाम धवली मुसली रख दिया गया। अब सिर्फ कश्मीर जैसे ठंडे इलाके में पैदा होने वाली अमेरिकन केसर उगा दी है। उन्होंने बताया गुजरात के गांधी नगर स्थित महात्मा गांधी संस्थान से प्रेरणा मिली। वहीं से बीज भी नि:शुल्क दिया गया। 2500 पौधे तैयार कर अपने खेत में नवंबर में लगाए थे, पांच महीने में उपज आ गई है। किसान बाबूलाल ने केसर को लैब टेस्ट के लिए मुंबई भेजा है। अब तक बाबूलाल को भी नहीं पता है कि यह बिकेगी कहां। उन्होंने बताया गुजरात में संस्थान से ही संपर्क किया था, जहां से श्रीनगर के एक विशेषज्ञ का नंबर मिला। वे 28 अप्रैल को बड़दा आकर फसल देखेंगे। तब तक मुंबई से लैब टेस्टिंग की रिपोर्ट भी आ जाएगी। उन्होंने ही बताया है कि 45 प्रतिशत से अधिक केसर का अंश आया तो बाजार मूल्य 60 से 75 हजार रुपए तक मिल सकता है। कैसे बेची जा सकती है, वह भी वे विशेषज्ञ ही आकर बताएंगे।

 सीधी और सरल केसर की खेती : किसान बाबूलाल ने बताया अन्य फसलों की तुलना में केसर की खेती करना आसान और सरल है। इसमें ड्रिप पद्धति से फसल को लिया जा सकता है। पौधों में किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं लगती। जैविक फसल का पौधा 4 से 5 फीट लंबाई वाला होता है, जिस पर दो सौ से ढाई सौ तक फूल लगते हैं। इस फूल में ही केसर लगती है।
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